Dr BR Ambedkar: महापरिनिर्वाण दिवस आज
Dr. BR Ambedkar: भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की 68वीं पुण्य तिथि आज, देश और दुनिया को सामाजिक न्याय और समानता के विचारों को बढ़ावा देने के लिए याद किया जाता है।

Dr. BR Ambedkar: हर साल 6 दिसंबर को मनाया जाने वाला महापरिनिर्वाण दिवस डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की पुण्यतिथि पर उनके समर्पण और भारतीय संविधान के निर्माण में उनके योगदान को याद करके उन्हें सम्मानित करता है। इस साल महापरिनिर्वाण दिवस डॉ. बीआर अंबेडकर की 68वीं पुण्यतिथि है। यह दिन मुंबई के चैत्य भूमि में मनाया जाएगा, जहाँ अनुयायी उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित होंगे।
महापरिनिर्वाण दिवस, 6 दिसंबर की एक महत्वपूर्ण तिथि है, जिस दिन हम डॉ. बी.आर. अंबेडकर को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हैं। डॉ. बी.आर. अंबेडकर को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए लड़कर सामाजिक न्याय और समानता के विचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंततः भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान मार्गदर्शक व्यक्ति रहे।
क्या है महापरिनिर्वाण
महापरिनिर्वाण शब्द बौद्ध दर्शन से लिया गया है जो मृत्यु के बाद प्राप्त निर्वाण की स्थिति को दर्शाता है। बौद्ध धर्म में, महापरिनिर्वाण मृत्यु, पीड़ा और जन्म से मुक्ति की अंतिम अवस्था है। शब्द "परिनिर्वाण" बुद्ध के प्रस्थान का वर्णन करता है।
क्यों कहा जाता है डॉ. बी.आर. अंबेडकर की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस
1956 में डॉ. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपना लिया और उनके हजारों अनुयायी भी उसी मार्ग पर चल पड़े। यह दिन उनके निधन को एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में प्रस्तुत करके उन्हें सम्मानित करता है।
बाबासाहेब के नाम से भी जाने जाने वाले डॉ. बीआर अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महू, मध्य प्रदेश में हुआ था। उन्हें कम उम्र में ही भेदभाव का सामना करना पड़ा, जिसने अंततः सामाजिक असमानताओं के खिलाफ लड़ने के उनके दृढ़ संकल्प को बढ़ावा दिया।
पिता: रामजी मालोजी सकपाल, माँ: भीमाबाई
शिक्षा:
एल्फिंस्टन कॉलेज से बी.ए. (1912)।
कोलंबिया विश्वविद्यालय से एम.ए. (1916)।
एलएसई से डी.एस.सी.
प्रमुख घटनाएँ जिनमे डॉ अम्बेडकर ने भाग लिया: महाड़ सत्याग्रह (1927), गोलमेज सम्मेलन (1930-32), पूना समझौता (1932)
डॉ अम्बेडकर द्वारा स्थापित संगठन: बहिष्कृत हितकारिणी सभा (1924), स्वतंत्र लेबर पार्टी (1936), अनुसूचित जाति संघ (1942)
समाचार पत्र की स्थापना: मूकनायक (1920), बहिष्कृत भारत (1927) जनता (1930),
राजनीतिक कैरियर
श्रम मंत्री (1942-46), भारत के प्रथम कानून मंत्री। स्वतंत्रता के बाद प्रारूप समिति के अध्यक्ष, भारत के संविधान के प्रमुख वास्तुकार (1946-1949).
1956 में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की स्थापना की; इसके पूर्ण विकास से पहले ही उनका निधन हो गया। इसके बाद में
14 अक्टूबर 1956 को 500,000 अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया।
निधन:- 6 दिसंबर, 1956
1990 में भारत रत्न से सम्मानित
शहीद स्मारक :-चैत्य भूमि, मुंबई
डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का योगदान
भारतीय समाज और शासन में डॉ. बी.आर. अंबेडकर का योगदान अद्वितीय है, उन्होंने अपने दूरदर्शी नेतृत्व और परिवर्तनकारी प्रयासों के माध्यम से राष्ट्र की आधुनिक पहचान को आकार दिया:
भेदभाव का विरोध: डॉ. अंबेडकर ने जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ़ लड़ने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। अपने विधायी पहलों, लेखन और सामाजिक सक्रियता के माध्यम से, उन्होंने सभी के लिए समानता और सम्मान के लिए लड़ाई लड़ी।
दलित आंदोलन के नेता: दलित आंदोलन के नेता के रूप में डॉ. अंबेडकर ने महाड़ सत्याग्रह जैसी पहल की, जिसका उद्देश्य दलितों को सार्वजनिक संसाधनों तक पहुंच का अधिकार दिलाना था। उनके नेतृत्व ने हाशिए पर पड़े समुदायों को सशक्त बनाया, उन्हें न्याय और समानता की मांग करने के लिए आवाज़ दी।
भारतीय संविधान के निर्माता: प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में, डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सुनिश्चित किया कि संविधान में समानता, स्वतंत्रता और न्याय के सिद्धांतों को शामिल किया जाए, साथ ही हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए जाएं, जो एक समावेशी और प्रगतिशील राष्ट्र के लिए उनके दृष्टिकोण को रेखांकित करता है।
आर्थिक दूरदर्शी: डॉ. अंबेडकर की आर्थिक अंतर्दृष्टि दूरदर्शी थी। उन्होंने औद्योगीकरण, श्रम अधिकारों और सामाजिक न्याय का समर्थन किया, और ऐसी नीतियों में योगदान दिया, जिन्होंने भारत के आर्थिक विकास और न्यायसंगत विकास की नींव रखी।
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