Bulldozer कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
बुलडोजर कार्रवाई पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने आज एक अहम फैसला सुनाया है।

बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया कि बिना अनुमति के देश में कोई भी तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों, जलाशयों पर अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा। बुलडोजर कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि कोई भी सरकार मनमानी नहीं कर सकती है और न ही मनमाने तरीके से किसी की संपत्ति छीनी जा सकती है। अदालत ने कहा है कि सिर्फ आरोपी या दोषी का घर तोड़ना संविधान के खिलाफ है। गैरकानूनी तरीके से किसी का घर तोड़ने पर अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
अवैध रूप से ध्वस्तिकरण होगा संविधान के मूल्यों के खिलाफ
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा दंडात्मक उपाय के रूप में अपराध के आरोपी व्यक्तियों की इमारतों को ध्वस्त करने की कथित कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पर यह निर्देश पारित किया। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा की अगर अवैध रूप से ध्वस्तिकरण का एक भी मामला है तो यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ होगा। वहीं जस्टिस गवई ने कहा की हम अनधिकृत निर्माण के बीच में नहीं आएंगे लेकिन कार्यपालिका न्यायाधीश नहीं हो सकती।
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